Wednesday, November 2, 2011

Fwd: [Buddhist Friends] बाबासाहब डॉ. आंबेडकर द्वारा सफाई कामगारों के हित...



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Date: 2011/11/1
Subject: [Buddhist Friends] बाबासाहब डॉ. आंबेडकर द्वारा सफाई कामगारों के हित...
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बाबासाहब डॉ. आंबेडकर द्वारा सफाई कामगारों के...
Nirwan Bodhi 7:11pm Nov 1
बाबासाहब डॉ. आंबेडकर द्वारा सफाई कामगारों के हित में किये गये कार्य...

भारत के दलितों में सफाई कामगारों की बहुत बड़ी संख्या होने के बावजूद ये जाति दलित संघर्ष से दूर रहीं. यह बात आंबेडकरवादियों वादियों के लिए जितनी दुखदाई है कि आखिर क्यू ये जातियां डा. आंबेडकर के मिशन और विचार धारा से नही जुड़ सकीं.. क्यूं की बाबासाहब के महापरिनिर्वार्ण पश्चात जिनके खंदे के उपर जिम्मेदारी थी.. उन्होंने प्रामाणिकता से इन जातियों को जोड़ने का प्रयास ही नहीं किया.. जबकी बाबासाहब आंबेडकर ने उन्हें अपने आंदोलन से जोड कर रखा था... लेकिन 1956 के बाद दलित नेताओं के असहयोग के वजह से यह जाति दूर होते चली गयी...
डा. आंबेडकर के कार्य और संधर्ष का अध्ययन करें तो पाते है कि डा. आंबेडकर ने सफाई कामगारों के लिए इतना काम किया है जितना आज तक किसी ने भी नही किया होगा.. यदि उनके व्दारा सफाई कामगारों के लिए किये गये कार्य की बात करें तो पाते है की उनका योगदान सराहनीय एवं अमूल्य रहा...
बाबा साहब डा. आंबेडकर की इच्छा थी की सफाई कामगारों की एक शक्तिशाली देश व्यापी संस्था कायम की जाय जो न केवल सफाई कामगारों की हालत सुधारने का कार्य करे बल्कि उनमें शिक्षा का प्रसार, सामाजिक सुधार शराब, तम्बाकु सिगरेट, बीड़ी और नशों से छुटकारा व फिजूल खर्च अथवा कर्ज से निजात के लिए कुछ काम कर सके.. इसी तारतम्य में बाबा साहब ने राजा राम भोले और श्री पी.टी. बोराले को समूचे भारत में सफाई कामगारों की समस्याओं, कठिनाइयों तथा जरूरतों का अध्ययन करने और रिर्पोट पेश करने का काम सौपा. इसी उद्देश्य से उन्होने देश का भ्रमण किया. डा.पी.टी. बोराले बाद में सिध्दार्थ कालेज से बतौर प्रिंसिपल रिटायर हुए और साइमोन बंबई में रहते थे.. श्री भोले हाई कोर्ट में जज रहे बाद में वे लोकसभा के सदस्य थे इनका देहांत हो चुका है.. बाबा साहेब डा. अंम्बेडकर ने श्री भोले को १९४५ में अंतराष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस में सफाई कर्मचारियों का प्रतिनीधि बनाकर भेजा था.. ताकि वे अंतराष्ट्रीय मंच में सफाई कामगारों की समस्या को उठा सके।
बाबा साहेब डा. अम्बेडकर ने भंगीयों के लिए एक बहुत ही अच्छा काम यह किया कि उन्होने ऐसे कानून जो भंगीयों के शोषण के लिए बनाये गये थे उन्हे समाप्त करवा दिया.. जैसे बहुत से नगर निगमों, म्युनिस्पल कारपोरेशन में सफाई काम से मना करने पर दण्ड का प्रावधान था.. ये दण्ड आर्थिक एवं शारीरिक दोनो हो सकता था.. साथ ही साथ धारा १६५ के तहत उपर अपील करने की भी गुन्जाईश नही थी.. एक कानून ऐसा था जिसमें तीन दिन गैर हाजिर हाने पर १५ दिनों तक जेल की सजा हो सकती थी.. जब डा. अम्बेडकर कानून मंत्री थे उन्होने समूचे भारत के नगर निगमों आदि से ऐसे कानून समाप्त करने के लिए कदम उठाया था.. जिससे सफाई कामगारों का शोषण खत्म हो जाये.. आज भी कई नगर निगमों, कैन्टो में , बोर्डो आदि में ऐसे कानून है जिनमें सफाई कामगारों को कड़ी से कड़ी सजा देने के प्रावधान है.. परन्तु वोट की राजनीति उन्हे ऐसे कानून का प्रयोग करने से रोकती है.. अनुच्छेद १३ में डा. अम्बेडकर व्दारा यह प्रावधान किया गया की जो कानून नये संविधान में दिये गये अधिकारों के विरूध्द है वह वैध नही माने जायेगें..
उस समय जितने भी बुध्दिजीवी जो सफाई कामगारों से ताल्लुख रखते थे तथा डा. अम्बेडकर साहब के मुहिम के समर्थक थे ने उनके साथ १९५६ को बौधधर्म ग्रहण कर लिया तथा हिन्दू धर्म का त्याग कर दिया।
सफाई कामगारों को बाबासाहब के मिशन से जोड़ने के लिए इस समुदाय के व्यक्तियों मे अध्ययन की प्रवृत्ति पैदा होनी जरूरी है क्योकि बिना अध्ययन के ज्ञान आना संभव नही है और अध्ययन के बाद ही अपने अस्तित्व के प्रति चेतनाशील हुआ जा सकता है, वैसे भी बिना ज्ञान के किसी क्रांतिकारी परिर्वतन की आशा नही की जा सकती.. दलित आंन्दोलन को उनके घरों तक ले जाने की आवश्यकता है.. अब इस समाज के चेतनाशील दलित युवकों की यह जिम्मेदारी है की वे अपने समुदाय को दलित आंदोलन की मुख्य धारा में लाये तथा इस प्राचीन भारत की प्राचीन सभ्यता की 'सिर पर मैला ढोने' वाली संस्कृति से उन्हे निजात दिलायें तथा दलित चेतना की इस मुहीम में इन्हे शामिल करें.. तभी दलित आंदोलन के इतिहास में सफाई कामगारों के विकास की ये मुहीम रेखाकित की जा सकेगी.. और बाबासाहब डॉ. आंबेडकर के सपनों को पुरा करने में मदद मिलेगी...
जयभीम....

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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