Wednesday, May 11, 2011

Fwd: गद्दाफी, साम्राज्यवाद और लीबिया की जनता की मुक्ति का सवाल



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2011/5/10
Subject: गद्दाफी, साम्राज्यवाद और लीबिया की जनता की मुक्ति का सवाल
To: deewan@sarai.net


लीबिया की स्थिति बहुत धुंधली और हिंसक है। गद्दाफी ने अंत तक लड़ने और सत्ता पर अपना कब्जा बनाए रखने का इरादा जाहिर किया है। फिलहाल राजधानी त्रिापोली और देश के पश्चिमी क्षेत्रों पर केन्द्रीय सरकार का कब्जा है जबकि पूर्वी क्षेत्र पर विरोधी ताकतों ने कब्जा कर रखा है। कुछ मंत्रियों और सैनिक अधिकारियों ने पाला बदल दिया है और वे प्रतिपक्ष के साथ शामिल हो गए हैं तथा संभावित अगली सरकार का हिस्सा बन गए हैं। इस 'अंतरिम राष्ट्रीय शासन कौंसिल' के कुछ सदस्य पश्चिमी देशों से मांग कर रहे हैं कि वे इनकी मदद में हवाई हमले करें। यह एक प्रतिक्रियावादी मांग है जिसके पीछे साम्राज्यवाद का समर्थन निहित है। यह लीबियाई जनता के हित में नहीं हैं जिसने साम्राज्यवादी प्रभुत्व के अधीन काफी कष्ट झेले हैं। यहां यह बात भी ध्यान में रखने की है कि इस क्षेत्र की यह पहली उथल-पुथल की घटना है जिसने तेल के उत्पादन को प्रभावित किया है। समूचे अफ्रीका में लीबिया के पास तेल का सबसे बड़ा भंडार है और लीबिया यूरोप की तेल की जरूरतों के एक महत्वपूर्ण हिस्से की आपूर्ति करता है। इसलिए साम्राज्यवादी गणित को प्रभावित करने में यह भी एक कारक है। साम्राज्यवादी ताकतें 'मानवीय सरोकार' का बहाना लेकर संभावित सैनिक हस्तक्षेप को वैचारिक आधार देने में लगी हैं।

पूरी बातचीत पढ़ें- http://hashiya.blogspot.com/2011/05/blog-post_10.html

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Nothing is stable, except instability
Nothing is immovable, except movement. [ Engels, 1853 ]



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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