Wednesday, May 11, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/5/11
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


सीखते हुए कमाएं

Posted: 10 May 2011 11:25 AM PDT

समर जॉब्स मनमु ताबिक फील्ड में जॉब करने की ऑपरच्युनिटी देने के साथ आत्मविश्वास बढ़ाता है, करियर को इन्हैंस करने में भी फायदेमंद होता है। यदि आप में आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा हुआ है और कुछ यूनिक करने को तत्पर हैं, तो समर जॉब अवश्य करें। यह इसलिए भी खास होता है क्योंकि यह पार्ट टाइम जॉब होता है, जिसमें रुचि के मुताबिक भी अन्य कायरे को करने के लिए आपको पूरा समय मिल जाता है

अंग्रेजी में फेमस सॉन्ग है, ˜इन द समर टाइम वेन द वेदर इज हॉट, यू कुड स्ट्रेच राइट अप एंड टच द स्काई। इस गाने का जिक्र खासकर उन स्टूडेंट के लिए किया गया है, जो गर्मी की छुट्टियों को सही तरीके से यूटिलाइज करना चाहते हैं। फिर चाहे वे 10+2 के स्टूडेंट हों या कॉलेज के। समर जॉब इसका सबसे बेहतर विकल्प है। आज आपके सामने कई कूल पार्ट टाइम समर जॉब्स के ऑप्शन हैं ताकि आप हीट को बीट कर सकें। समर जॉब्स मनमुताबिक फील्ड में जॉब करने की ऑपरच्युनिटी देने के साथ आत्मविश्वास बढ़ाता है, करियर को इन्हैंस करने में भी फायदेमंद होता है। यदि आप में आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा हुआ है और कुछ यूनिक करने को तत्पर हैं, तो समर जॉब अवश्य करें। यह इसलिए भी खास होता है क्योंकि यह पार्ट टाइम जॉब होता है, जिसमें रुचि के मुताबिक भी अन्य कायरे को करने के लिए पूरा समय मिल जाता है। बेहतर कमाई के साथ वर्क एक्सपीरिएंस भी हासिल होता है, जो भविष्य निर्माण में मददगार हो सकता है।

कहां-कहां मौजूद है विकल्प-


रेस्टोरेंट, स्मॉल बिजनेस, रिटेल स्टोर्स, एम्यूजमेंट पार्क्‍स, समर कैंप्स, क्रेच, मॉडलिंग, एनजीओ, मार्केटिंग, असिस्टेंट फील्ड में समर जॉब करना फायदेमंद होता है। ये कुछ ऐसे फील्ड हैं, जिसमें किसी डिग्री या र्सटििफकेट की जरूरत नहीं पड़ती। इसे किसी भी स्ट्रीम के स्टूडेंट ऑप्ट कर सकते हैं। बस चाहिए तो खुद में आत्मविश्वास, बेहतर कम्यूनिके शन स्किल, मेहनत व लगन। होस्ट औ र हॉस्टेसेज की भी मांग कई तरह के एग्जिबिशन और कम्पनी स्पॉर्न्‍सड इवेंट में होती है। यदि आप स्मार्ट ब्वॉय या गर्ल हैं, तो आप यहां ट्राई करें। ये बेहतर पे तो करते ही हैं साथ ही टेस्टी फूड, स्मार्ट यूनिफॉर्म और बेहतर वातावरण भी प्रोवाइड करते हैं। पार्ट टाइम स्टाफ को कई कंपनियां एग्जिबिशन के दौरान स्टॉल संभालने की जिम्मेदारी देते हैं। मार्केटिंग रिसर्च एर्फट्स के लिए भी यंग स्टाफ को सर्वे और डोर टू डोर इंटरव्यू कंडक्ट कराने के लिए भी कंपनियां युवाओं को हायर करती हैं। साथ ही सेल्स, इवेंट कोऑर्डिनेशन और बैकस्टेज हेल्प भी कुछ ऐसे ही मुख्य पार्ट टाइम या समर जॉब का हिस्सा हैं। इतने सारे विकल्पों में कैंडिडेट्स को पूरी आजादी होती है कि वे उन्हीं जॉब्स का चुनाव करें, जो उन्हें सूट करे या प्रोफाइल व इंटरेस्ट से मेल खाए। कई जगहों जैसे हॉस्पिटल, क्लिनिक, समर यूथ प्रोग्राम्स आदि में वॉलन्टियर की तरह भी काम किया जा सकता है लेकिन यहां कमाई के बजाय वर्क एक्सपीरियंस काउंट करेगा। यदि आपको कम्प्यूटर से संबंधित जानकारी है, तो बैक ऑफिस का काम भी ट्राई कर सकते हैं। इसके लिए 10अ2 के साथ एमएस ऑफिस और कम्प्यूटर से संबंधित बेसिक नॉ लेज हो। किताबी ज्ञान के अलावा वेब डिजाइनिंग का कोर्स किया हो, तो वेब डिजाइनर बन कर इस फील्ड में अनुभव बढ़ा सकते हैं। समर जॉब अर्न करने का मौका देता है, ऐसे में अपनी मेहनत की कमाई को अपनी रुचि के अनुसार ही खर्च करें। यदि आप रात में जॉब कर रहे हैं, तो दिन के समय पसंदीदा फील्ड में ट्रेनिंग लें या फिर हॉबी, स्पोर्ट से संबंधित बातों को एक्सप्लोर करें। इसके अलावा आप निम्न स्थानों पर भी ट्राई कर सकते हैं-

मॉल्स-

यहां हमेशा सेल्स मैन की जरूरत रहती है, जो मेहनती युवाओं से मदद की तलाश में रहते हैं। किसी भी मॉल में सेल्स मैन बनकर बिजनेस, प्रोडक्ट सेल व लोगों से इन्टरैक्ट करने का गुर सीखा जा सकता है।

स्मॉल बिजनेस-

यदि आपका फैमिली बिजनेस है तो वहां लग जाएं। कई शहरों में छोटे-छोटे स्मॉल बिजनेस ऑफिसेज होते हैं, जिसके ओनर्स या ऑफिस मैनेजर्स से मिलकर आप पार्ट टाइम जॉब की बात कर सकते हैं।

कॉरपोरेट ऑफिस-

अब कई ऐसे ऑफिसेज भी समर जॉब और इंटर्नशिप प्रोग्राम ऑफर कराने लगे हैं पर यह काफी कॉम्पिटिटिव होता है।

होटल और रिसॉर्ट

- समर में होटल और रिसॉर्ट काफी व्यस्त रहते हैं क्योंकि इन दिनों टूरिस्टों की भीड़ रहती है, ऐसे में यहां भी कई छोटे-मोटे पोस्ट के लिए फ्रेशर्स व स्टूडेंट्स की मांग बढ़ जाती है।

फास्ट फूड एंड रेस्टोरेंट-

अब तक का सबसे हॉट समर जॉब डेस्टिनेशन इसे माना जाता है क्योंकि यहां एक-दो महीने पार्ट टाइम जॉब कर स्टूडेंट अच्छा कमा लेते हैं। लोकल रेस्टोरेंट, मैकडोनल्ड, पिज्जा हट आदि में कमाई के साथ लोगों से इन्टरैक्ट करने का हु नर भी सीख सकते हैं। इसके लिए कम्यूनिकेशन स्किल बेहतर होना जरूरी है क्योंकि अधिकांश कस्टमर्स इंग्लिश स्पीकिंग होते हैं। यदि भविष्य में खुद का रेस्टोरेंट खोलना है, तो उद्योग से संबंधित जानकारी, ज्ञान आवश्यक है। ऐसे में समर जॉब प्लस प्वाइंट होगा। इस दौरान जितना हो सके कैश फ्लो, स्टाफिंग, इन्वेंट्री आदि के बारे में सीखें-समझें। फास्ट फूड, फैमिली डाइनिंग, एलिगेंट डाइनिंग में ट्राई करें क्योंकि यहां पे अच्छी होती है।

एम्यूजमेंट पार्क-

यहां आपको ह्यूमन नेचर से परिचित होने का तो मौका मिलेगा ही साथ ही बिजनेस की भी समझ आएगी। इसके अलावा समर कैंप, रिसॉ र्ट या वेकेशन स्पॉट पर भी जॉब कर सकते हैं , इसमें आपको ट्रैवलिंग का भी मौका मिलेगा।

योग्यता-

आज कम्पनियां या स्टोर्स मोटिवेटेड टीन्स की डिमांड करते हैं, जो समय से कार्य पर आए, पॉजिटिव एट्टीयूड हो, हार्ड वर्किग हो, लीडरशिप क्वालिटी, फुल शिफ्ट में काम करने की क्षमता और बेस्ट देने वाले कैंडिडेट को ही तवज्जो देते हैं। ध्यान रखें कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। उपरोक्त सभी कायरे से मनी अर्न, एक्सपीरियंस, गुड कॉन्टैक्ट और रेफरेंसेज भी आप जुटाते हैं।

वेबसाइट्स-

यदि सीजनल, फन, यूनीक, अनयूजु अल और कू ल जॉब्स की तलाश में हैं, तो जॉब- सीकर्स के लिए निम्नलिखित वेबसाइट्स मददगार होंगे। यह बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट है। इन पर लॉग इन करते ही समर जॉब, सीजनल जॉब, पार्ट टाइम, इंटर्नशिप, ट्रेनिंग के बारे में जानकारी प्राप्त होगी। इन साइट्स के माध्यम से लोकेशन, पोजिशन, इंडस्ट्री, कीर्वड के जरिए जॉब की तलाश कर सकते हैं(अंशुमाला,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,10.5.11)

फूड स्टाइलिस्ट के तौर पर करिअर

Posted: 10 May 2011 11:00 AM PDT

रेस्टोरेंट में आप नये फूड को कैसे ट्राई करते हैं? कई दफा डिफरेंट नाम पढ़कर या मेन्यू कार्ड में उसकी अट्रैक्टिव फोटो देखकर! कई बार आप मैगजीन में किसी शेफ द्वारा बनाई गई रेसिपी को ट्राई करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि फूड बनाने की टेक्निक के साथ उसकी फोटो देखकर आपके मुंह में पानी आ जाता है। यह काम फूड स्टाइलिस्ट का है, जो फूड को इतनी खूबसूरती से सजाता है कि आप उसे ट्राई किए बिना नहीं रह पाते। दरअसल, फूड स्टाइलिंग पर्सनालिटी ग्रूमर की तरह होता है, जिसका काम है किसी खास फूड को खूबसूरती से सजाना ताकि देखते ही उसे खाने को मन ललचाए। यदि आप क्रिएटिव व्यक्ति हैं साथ ही, खाना पकाने में भी आपको मजा आता है लेकिन आप शेफ नहीं बनना चाहते हैं तो फूड स्टाइलिंग का करियर आपका इंतजार कर रहा है

करियर काउंसलर उषा अलबुकर्क के अनुसार, फूड स्टाइलिस्ट बनने के लिए कुकिंग में ट्रेनिंग का होना आवश्यक है, इसके लिए होटल मैनेजमेंट किया जा सकता है। यदि क्यूलिनरी आर्ट्स में आपको महारत हासिल है तो यह आपके करियर में सहायक साबित होता है। जरूरी नहीं है कि स्टाइलिस्ट खाना पकाए ही, हां, उसमें फूड के लिए पैशन का होना जरूरी है। अधिकतर बड़े फूड स्टाइलिस्ट असिस्टेंट रखते हैं, जो कुकिंग करते हैं, हालांकि कुकिंग जानना जरूरी है। साथ ही, टीम के साथ काम करना और पेशेंस भी उतना ही जरूरी है । किसी भी इवेंट से कुछ दिन पहले से ही उसे तैयारी भी करनी पड़ती है। शूट के लिए जरूरी चीजों की खरीदारी, जिसमें क्रॉकरी, ग्लासवेयर, कटलरी, कैंडिल्स, फूल, रिबन और डेकोरेशन की अन्य चीजें शामिल हैं। फूड इंडस्ट्री में होने वाले नये बदलावों को समझना और उसे अपनाना और कई बार तो उसके आगे बढ़कर सोचना जरूरी है।

कार्य


फूड स्टाइलिस्ट का काम अखबार, पत्रिकाओं और मेन्यू कार्ड में छपी भोजन की तस्वीरों को सजाना है। चाहे पिज्जा हो, बर्गर हो, रोटी-दाल हो, आइसक्रीम हो, कॉफी-टी हो या ड्राई-फ्रूट्स, इन्हें टीवी पर दिखाना, पन्नों पर ताजा दिखाना, आकर्षक रूप में पेश करना एक फूड स्टाइलिस्ट का काम है। फूड स्टाइलिस्ट किसी भी भोजन को इतनी खूबसूरती से पेश करते हैं कि उसे देखते ही खाने का मन करने लगता है। सुनने में यह काम बेहद आसान लग रहा होगा, लेकिन इसके पीछे की ट्रे¨नग और एक्सपीरियंस किसी को नजर नहीं आता। साथ ही, इस करियर में एक्सेल करने के लिए जरूरी है कि आप अच्छे कुक होने के साथ ही कुछ ट्रिक्स भी जानें। फूड स्टाइलिस्ट का काम न केवल भोजन को ऑग्रेनाइज करना है, बल्कि जरूरी मसाले लाना, भोजन के प्री-प्रोडक्शन चीजों की खरीदारी करना, उसे कैमरे के लिए तैयार करना भी है। इसके लिए बहुत मेहनत की जरूरत पड़ती है। किस फूड को फिल्माना है, कितने की जरूरत है, तैयार करने के लिए क्या चीजें चाहिए, इन सब चीजों की गहन पड़ताल करनी पड़ती है। सबसे जरूरी यह है कि इन्हें ध्यान रखना पड़ता है कि ये जो तैयारी कर रहे हैं, वह कैमरे पर अट्रैक्टिव दिखें। फूड स्टाइलिस्ट का लक्ष्य ऐसे फोटोज तैयार करना है, जिसमें फूड फ्रेश दिखे, कुछ ऐसा मानो अभी- अभी किचन से पककर निकल रहा हो। यानी कि उन्हें उस फूड को तब तक फ्रेश रखना है जब तक कि अच्छी फोटो न क्लिक हो जाए।

विशेषज्ञता

फूड स्टाइलिस्ट को इस व्यवसाय में कभी- कभी चालाकी से भी काम निकालना पड़ता है। कई बार विज्ञापनों में दिखने वाला भोजन वैक्स या प्लास्टिक का बना होता है। कुछ ही देर में फूड सूख जाता है, अनअट्रैक्टिव हो जाता है, कलर फेड करने लगता है, तब भी फूड स्टाइलिस्ट की जरूरत पड़ती है। वह कई बार उन पर ब्रश से तेल लगाकर या पानी के छींटें मारकर उसे फ्रेश बनाए रखता है। आइसक्रीम पिघलने लगती है तो टूथपेस्ट और उबले आलू का इस्तेमाल ऑप्शन के तौर पर किया जाता है। फूड स्टाइलिस्ट को हर तरह के वातावरण में काम करना पड़ता है। संभव है, आज वह एयरकंडीशंड कमरे में काम कर रहा हो, हो सकता है कि कल रेगिस्तान में कुछ शूट कर रहा हो। ¨पट्र विज्ञापनों के लिए तो स्टिल शॉट की जरूरत पड़ती है। इसमें सेंटर फॉर अट्रैक्शन केवल फूड होता है लेकिन कुक बुक, मेन्यू कार्ड के लिए काम करना ज्यादा क्रिएटिव है क्योंकि इसमें बैकग्राउंड, टेबल सेटिंग, प्लेट्स, कटलरी को भी एड करना पड़ता है। खाना पकाने की चीजों के साथ ही उसे पेंट ब्रश, स्पैचुअला, ट्वीजर आदि के साथ भी काम करना पड़ता है। साथ ही, केमिस्ट स्टोर की अन्य चीजों का भी कई बार इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ जाती है। फूड स्टाइलिस्ट का काम फिल्मों में होता है। किसी सीन में अगर फूड को दिखाना होता है और कई री-टेक लगते हैं तो इतने समय में वह खराब हो जाता है जबकि फूड का नेचुरल और ब्यूटीफुल दिखना जरूरी है। पिज्जा का टुकड़ा हीरो खाता है, अगले टेक में फिर पूरा पिज्जा दिखाना है। उसे एक साथ एक तरह की टॉ¨पग्स वाले कई पिज्जा रखने होते हैं।

अवसर

अधिकतर फूड स्टाइलिस्ट को काम पब्लिशर्स, मैगजीन्स और एड एजेंसियों में मिलता है। बड़े पब्लिशर्स और मैगजीन्स तो फुल टाइम फूड स्टाइलिस्ट रखते हैं। वैसे अधिकतर मामलों में यह काम फ्रीलांसिंग तौर पर फ्रीलांसिंग तौर पर होता है। चाहे तो किचन इक्विपमेंट, टेबलवेयर, क्रॉ करी और ग्लासवेयर की कंपनियों में भी फुल- टाइम काम किया जा सकता है। कुछ फूड स्टाइलिस्ट स्पेशल कुजीन या खास प्रो जेक्ट के लिए शेफ का भी काम करते हैं । अपने कस्टमर्स के लिए नई रेसिपी तैयार करना और मैगजीन में उन्हें लिखते हैं।

कोर्स

इस क्षेत्र में महारत हासिल करने के लिए कोई कोर्स फिलहाल भारत में उपलब्ध नहीं है। अधिकतर फूड स्टाइलिस्ट होटल मैनेजमेंट किए लोग होते हैं, इसलिए पहले होटल मैनेजमेंट का कोर्स कीजिए। इसके बाद बेहतर करने की उम्मीद में किसी फूड स्टाइलिस्ट के असिस्टेंट के तौर पर काम करना शुरू कर दीजिए(स्पर्धा,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,10.5.11)

फुटवियर डिजाइनिंग में करिअर

Posted: 10 May 2011 10:30 AM PDT

फुटवियर की लगातार मांग ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को इस इंडस्ट्री की ओर आकर्षित किया है। फुटवियर इंडस्ट्री में दक्ष कारीगरों की मांग काफी बढ़ी है

फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में फुटवियर डिजाइन की अपनी महत्ता है। आधुनिक दौर में डिजाइनदार जूते और कपड़े पसंद करने और पहनने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। फुटवियर की लगातार मांग ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को इस इंडस्ट्री की ओर आकर्षित किया है। फुटवियर इंडस्ट्री में दक्ष कारीगरों की मांग काफी बढ़ी है। जिन लोगों की रुचि फैशन में है, जिन्हें टेक्सटाइल की गूढ़ जानकारी है और शू इंजीनियरिंग की गहरी जानकारी है, वे फुटवियर डिजाइन में अपना करियर बना सकते हैं।

योग्यता:
डिप्लोमा या ग्रेजुएट कोर्स के लिए कम से कम 12वीं पास होना आवश्यक है जबकि पोस्ट ग्रेजुएट में एडमिशन लेने वालों को स्नातक होना अनिवार्य है। बीटेक/एमटेक प्रोग्राम में एडमिशन लेने के इच्छुक छात्रों को साइंस/इंजीनियर बैकग्राउंड का होना जरूरी शर्त है।

प्रोग्राम :

फैशन इंडस्ट्री में फुटवियर डिजाइनिंग/टेक्नोलॉजी जबर्दस्त बूम होने वाला करियर है। फुटवियर डिजाइन में लक्ष्य प्राप्ति के लिए तीन तरह के कोर्स उपलब्ध हैं- सर्टिफिकेट डिप्लोमा, ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट। डिप्लोमा या ग्रेजुएट कोर्स की अवधि चार साल की होती है, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम दो साल का होता है। अलग-अलग सर्टिफिकेट कोर्स की अवधि छह माह से एक साल की होती है जो संस्थानों और कोर्स पर निर्भर करता है।

जॉब


: ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री पाए अभ्यर्थी की इस इंडस्ट्री में जबर्दस्त मांग है। टेक्नीकल स्किल्स के कारण इंजीनियरिंग ग्रेजुएट को इस इंडस्ट्री में नौकरी पाने में दिक्कत नहीं होती। डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले लोगों की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में काफी है। फ्रेशर को आसानी से आठ से बारह हजार रुपये घरेलू कंपनियां दे देती हैं जबकि विदेशी कंपनियों में नौकरी मिलने पर इन्हें 15 से 20 हजार रुपये मिलते हैं।

चयन :

इससे संबंधित कोर्स में एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट और इंटरव्यू के बाद ही होता है। कई संस्थान अपने यहां छात्रों को मैट/कैट के स्कोर के आधार पर एडमिशन देते हैं, तो कई संस्थान अपने स्तर पर भी एंट्रेस टेस्ट लेकर छात्रों को एडमिशन देते हैं(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,10.5.11)।

कैसे पाएं जॉब

Posted: 10 May 2011 10:01 AM PDT

फर्स्ट स्टेप :

टाइप ऑफ जॉब, लोकेशन, काम की अवधि, पे के अनुसार ही तय करें कि आप किस जगह जॉब करना चाहते हैं।

सेकेंड स्टेप :

अपनी योग्यता, क्षमता, आत्मविश्वास का सेल्फ एनालिसिस करें। क्या पेड या वॉलन्टियर रूप से पहले कभी कोई काम किया है? स्कूल-कॉलेज में जो कुछ भी सीखा है, क्या वह समर जॉब के लिए आइडियल है?

थर्ड स्टेप :

बायोडाटा और कवर लेटर बनाएं। यदि आप प्रोफेशनल लुकिंग बायोडाटा तैयार करते हैं, तो प्रोफेशनल इमेज ही शो करें।

फोर्थ स्टेप :

आइडियल जॉब पाने के लिए सभी उपयोगी रिसोर्सेज का प्रयोग करें। पैरेंट्स, फैमिली मेंबर्स, दोस्तों के पैरेंट्स, टीचर से बात करें कि कहीं उनके पास आपके किसी आइडियल जॉब कंपनी से संबंधित कोई कॉन्टैक्ट या जान-पहचान तो नहीं। उन्हें बायोडाटा की कॉपी दें, इसे नेटवर्किंग स्टेप कहते हैं।

फिफ्थ स्टेप :

इससे संबंधित एड्स देखने के लिए रोज न्यूजपेपर सर्च करें क्योंकि समर जॉब से संबंधित कई एड पेपर में रहते हैं। नेट सर्फिंग रोज करें।

सिक्स्थ स्टेप :


अपनी पसंद के मुताबिक ही जॉब अप्लाई करें। जॉब एप्लिकेशन से संबंधित सभी जानकारी को प्रॉपर रूप से फिल करें।

सेवेंथ स्टेप :

जिस कंपनी में इंटरव्यू के लिए जाना हो, उसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी रखें। नॉर्मल इंटरव्यू के प्रश्नों के उत्तर डेवलप कर घर पर ही प्रैक्टिस करें। ड्रेसिंग भी बेहतर हो।

(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,10.5.11)

लखनऊ विविःलॉ की परीक्षाओं के केंद्र तय

Posted: 10 May 2011 08:30 AM PDT

लखनऊ ववि में लॉ त्रिवर्षीय एवं लॉ आनर्स की परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्र तय हो गए हैं। लविवि के न्यू कैंपस में शिया पीजी कॉलेज, सिटी एकेडमी लॉ कॉलेज, नर्वदेश्वर लॉ कॉलेज, लखनऊ लॉ कॉलेज, हीरालाल यादव लॉ कॉलेज, लविवि के सभी डिप्लोमा पाठ्यक्रमों एवं सेंट मदर टेरेसा विधि महाविद्यालय की परीक्षाएं होंगी। न्यू कैंपस में ही लॉ आनर्स की भी परीक्षाएं होंगी। जानकारी परीक्षा नियंत्रक प्रो. यशवीर त्यागी ने दी। उधर, लविवि में बीजेएमसी सिक्स सेमेस्टर का प्रैक्टिकल १४, एमजेएमसी सेकेंड सेमेस्टर का प्रैक्टिकल १६ एवं फोर्थ सेमेस्टर का प्रैक्टिकल १७ मई को होगा। जानकारी प्रो. एसके द्विवेदी ने दी। उधर, लविवि में एमए/एमएससी फोर्थ सेमेस्टर की सांख्यिकी की प्रैक्टिकल ४ जून को प्रातः ८ से ११ तथा सेकेंड सेमेस्टर की प्रैक्टिकल १० से १ बजे तक होगा। जानकारी प्रो. अकील अहमद ने दी। उधर, लविवि में एमए वूमेन स्टडीज फोर्थ सेमेस्टर की परीक्षा ११ एवं सेकेंड सेमेस्टर की परीक्षा १८ मई, एमएलपीएम फोर्थ सेमेस्टर की परीक्षा २० मई, एमए फिलॉस्फी सेकेंड सेमेस्टर की परीक्षा १० मई, फोर्थ सेमेस्टर की ९ मई से शुरू होगी। एमएससी केमेस्ट्री सेकेंड सेमेस्टर की परीक्षा ९ मई, फोर्थ की ११ मई, इंडिस्ट्रयल केमेस्ट्री सेकेंड सेमेस्टर की परीक्षा १० मई, फोर्थ की १२ मई, फार्मास्यूटिकल केमेस्ट्री सेकेंड सेमेस्टर की परीक्षा १० मई तथा फोर्थ सेमेस्टर की परीक्षा २१ मई से होगी(अमर उजाला,लखनऊ,10.5.11)।

यूपीःबीएड फीस ७०-८० हजार रुपए करने का प्रस्ताव

Posted: 10 May 2011 08:00 AM PDT

बीएड २०११-१२ की प्रवेश परीक्षा से पहले निजी कालेजों ने फीस बढ़ौतरी की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। फीस तय करने के लिए ११, १२ मई कौ शासन ने बैठक बुलाई है। इसमें कानपुर विवि से संबद्ध निजी बीएड महाविद्यालय के प्रबंधक, क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारियों को शामिल हौना है। इस संबंध में स्व वित्तपौषित महाविद्यालय संघ ने सौमवार कौ जीटी रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में बैठक की। अध्यक्ष विनय त्रिवेदी, महामंत्री डा. मौहर सिंह, संयौजक डा. बृजेश भद्रिया, सलाहकार एमएल मनवानी की अगुवाई वाली बैठक में कानपुर, रमाबाई नगर, इटावा, औरैया, फतेहपुर, हरदौई, उन्नाव के ४४ कालेज प्रबंधक शामिल हुए। निजी महाविद्यालय संचालकौं ने सुझाव दिया कि बीएड की सालाना फीस ७०-८० हजार रुपए से कम नहीं होनी चाहिए, तभी शिक्षकौं, कमिर्यों कौ आकषर्क वेतन दिया जा सकेगा और शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार होगा। इस आशय का प्रस्ताव क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारी अखिलेश कुमार कौ सौंप दिया गया है(अमर उजाला,कानपुर,10.5.11)।

यूपीःजुलाई से बच्चों के लिए 'स्पेशल स्कूल बस'

Posted: 10 May 2011 07:45 AM PDT

लखनऊ सहित सात महानगरों में नए शिक्षा सत्र यानी जुलाई से स्पेशल स्कूली बस के रूप में सिटी बसें फर्राटा भरने लगेंगी। पहले बिना बस वाले स्कूलों के नौनिहाल 'स्पेशल स्कूली बस' का मजा लेंगे। संचालन की जिम्मेदारी महानगर बस सेवा के क्षेत्रीय प्रबंधकों को सौंपी गई है। जिलाधिकारी की नेतृत्व में आयोजित बैठक में बसों के रूट का निर्धारण किया जाएगा। परिवहन मंत्री के डीटीसी की तर्ज पर 'स्पेशल स्कूली बस' चलाने के निर्देश पर अमल शुरू हो चुका है। प्रबंध निदेशक की तरफ से सोमवार को लखनऊ महानगर बस सेवा के क्षेत्रीय प्रबंधक राजीव चौहान सहित सभी सातों क्षेत्रीय प्रबंधकों को स्पेशल स्कूली बसें चलाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। क्षेत्रीय प्रबंधक और स्कूल प्रबंधकों की जिलाधिकारी के नेतृत्व में बैठक होगी। जिसमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी आमंत्रित किया जाएगा। जिसमें बस के रूट और किराए को तय किया जाएगा। किराया तय करने में अड़चन पर स्पेशल परपज व्हीकल या फिर आरटीओ की मदद ली जाएगी। इसके लिये परिवहन निगम भी प्रबंधकों के साथ बैठक करेगा। जून तक रूट व किराया तय हो जाएगा(अमर उजाला,लखनऊ,10.5.11)।

नागपुरःजरूरत नहीं फिर भी खोलना चाहते हैं नए कालेज

Posted: 10 May 2011 07:30 AM PDT

नए कालेज, पाठ्यक्रम तथा प्रवेश क्षमता का विस्तार करने के इच्छुक संस्था और महाविद्यालय मापदंडों को पूरा किए बिना ही सबकुछ पाना चाहते है। यह हसरत रखने वाले एक या दो नहीं, बल्कि 50 से अधिक संस्था व महाविद्यालय है।

राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से गठित समितियों की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए विवि के महाविद्यालय व विश्वविद्यालय विकास मंडल ने प्रस्तावों को मामूली सुधार के बाद राज्य सरकार के पास मंजूरी के लिए भेज दिया है।

सूत्रों ने बताया कि कुल 84 प्रस्तावों को मंजूरी के लिए भेजा गया है। विवि द्वारा गठित समिति ने नए कालेज, पाठच्यक्रम तथा प्रवेश क्षमता बढ़ाने के लिए आवेदन करने वाले 60 से अधिक कालेजों में खामियां गिनाई थी।

सूत्रों ने बताया कि सप्ताह भर के दौरे के बाद आई रिपोर्ट को देखने के बाद बीसीयूडी ने कालेजों को 19 अप्रैल तक सुधार कर वापस भेजने के लिए कहा था। इस संबंध में बीसीयूडी के निदेशक डा. अरविंद चौधरी ने कोई प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव सरकार के पास भेज दिए गए है।

उल्लेखनीय है कि प्रस्तावों की सिफारिश के मामले में सरकार ने एक बार विवि को फटकार लगाई थी। इसके बाद विवि ने समितियों का गठन किया था। समितियों ने एक सप्ताह तक नए कालेज, पाठच्यक्रम, अतिरिक्त कक्षा के लिए आवेदन करने वाले कालेजों का दौरा किया था।


समिति की रिपोर्ट के मुताबिक संस्थाओं ने जहां नए कालेज खोलने, पाठच्यक्रम शुरू करने तथा अतिरिक्त प्रवेश क्षमता बढ़ाने के लिए आवेदन किया है वह वाजिब नहीं है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि स्थानीय परिस्थिति के अनुसार वहां इसकी कोई जरूरत नहीं है। 
इसके पूर्व भी भेजे गए प्रस्तावों में खामियां नजर आने के बाद जांच समिति ने ऐसे सभी प्रस्तावों को विवि के पास वापस भेज दिए थे। साथ ही फटकार लगाते हुए कहा था कि इस मामले में विवि मनमानी सिफारिशें न करें। इस संबंध में विवि को एक पत्र गत 5 फरवरी को भेजा था। 

पत्र में खामियों का जिक्र करते हुए नए सिरे से प्रस्तावों की जांच करने के लिए कहा था। पत्र के साथ जांच का एक नमूना भेजा था। 

हर सवाल का जवाब आया नहीं

फटकार के साथ भेजे गए ढांचे के मुताबिक प्रस्ताव की जांच के लिए विवि की ओर से गठित समितियों ने कालेजों का दौरा किया था। इस दौरान 5 फरवरी को सरकार की ओर से जारी परिपत्रक के साथ भेजे गए ढांचे के अनुसार जानकारी मांगी गई थी। इनमें से अधिकांश प्रश्नों का जवाब नहीं में दिया गया है। 

रिपोर्ट के मुताबिक कई संस्थाओं की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। जिससे संस्था की ओर से 5 लाख फिक्स डिपॉजिट होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाएं है। कु छ के पास ऑडिट रिपोर्ट नहीं मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संस्था की ओर से सरकार की ओर से 30 अक्टूबर 2010 तथा 5 फरवरी 2011 को निर्गमित शर्तो को पूरा नहीं करते है। 

सरकार की फटकार

उच्च शिक्षा विभाग ने गत 5 फरवरी को जारी परिपत्रक में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय समेत राज्य के अन्य अकृषि विश्वविद्यालयों को लताड़ते हुए सख्त लहेजे में नए कालेजों के प्रस्ताव की मनमाने ढंग से सिफारिश करने से बाज आने के लिए कहा है। 

विभाग ने गत तीन वर्षो शैक्षणिक सत्र 2008-09, 2009-10 तथा 2010-11 में आए प्रस्तावों में पाई गई खामियों का जिक्र करते हुए साफ कहा था कि शैक्षणिक सत्र 2011-12 के लिए भेजे जाने वाले प्रस्ताव में ऐसा नहीं होना चाहिए। 

मनमानी केवल पारंपरिक पाठच्यक्रम संचालित करने वाले कालेजों के प्रस्ताव में ही नहीं, बल्कि व्यावसायिक पाठच्यक्रमों के कालेजों के प्रस्तावों की सिफारिश करने में बरती गई थी। 

अभी समय नहीं है

नए कालेज और पाठच्यक्रम तथा प्रवेश क्षमता बढ़ाने के लिए आए कुल प्रस्तावों में से शर्तों को पूरा करने वाले कालेजों के प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिए गए है। अभी मेरे पास विस्तृत जानकारी देने के लिए समय नहीं है। 
डा. अरविंद चौधरी, विवि बीसीयूडी निदेशक(दैनिक भास्कर,नागपुर,10.5.11)

शिक्षक सीखेंगे नेतृत्व के गुण

Posted: 10 May 2011 07:15 AM PDT

स्कूलों में बढ़ती छात्र संख्या के साथ ही छात्रों की बदलती प्रवृत्ति को देखते हुए शिक्षकों में विशेष दक्षता का विकास किया जाना आवश्यक है जिससे वह शिक्षण, अनुशासन एवं प्रशासन तीनों में ही बेहतर सामंजस्य स्थापित कर सकें। इसलिए सीबीएसई की प्राथमिकता सीबीएसई स्कूलों के शिक्षकों में लीडरशिप का विकास करना है। इसके लिए सीबीएसई टीचर लीडरशिप प्रोग्राम शुरू कर रही है। सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी ने सोमवार को यह जानकारी दी। वह एक निजी स्कूल के उद्घाटन के सिलसिले में राजधानी आए थे। उन्होंने बताया कि टीचर लीडरशिप प्रोग्राम में स्कूलों के प्रिंसिपल एवं टीचर्स को शामिल किया जाएगा। इसके लिए आईआईएम, भारतीय विद्या भवन आदि संस्थानों के प्रोफेसर्स का सहयोग लिया जा रहा है। जोशी ने कहा कि सीबीएसई स्कूलों में शिक्षा का अधिकार पूरी तरह से लागू किया जा रहा है। इसलिए अब छठी क्लास से ही यहां सतत एवं समग्र मूल्यांकन प्रणाली (सीसीई) लागू होगा। इसके लिए ६ से ८वीं क्लास तक के शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। सीसीई को लेकर उठ रहे सवालों पर जोशी ने कहा कि शिक्षकों को इससे घबराने नहीं समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट वर्क एवं एसेसमेंट भी लर्निंग का ही एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अभी सीबीएसई बोर्ड के परीक्षा परिणाम की कोई तिथि निर्धारित नहीं है लेकिन इस बार दसवीं के नतीजे बेहतर होने चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस बार १०वीं में बोर्ड को वैकल्पिक किए जाने के बाद ८० फीसदी से अधिक परीक्षार्थियों ने होम एग्जाम का विकल्प चुना है। हालांकि जोशी ने यह भी कहा कि १२वीं में बोर्ड को वैकल्पिक करने का कोई विचार फिलहाल नहीं है। उन्होंने कहा कि दसवीं के छात्रों के लिए जून व जुलाई में प्रोफिशिएंसी टेस्ट आयोजित किया जाएगा जिसमें १०वीं की परीक्षा देने वाले छात्र हिस्सा लेकर अपनी तैयारी परख सकेंगे। हालांकि यह परीक्षा किसी बाहरी एजेंसी के सहयोग से करायी जाएगी। शिक्षण में सूचना एवं संचार तकनीक (आईसीटी) के प्रयोग पर उनका कहना था कि तकनीक शिक्षक का विकल्प नहीं हो सकती है। यह शिक्षकों के शिक्षण में सहयोग तक ही सीमित होनी चाहिए। स्कूलों में फीस एवं ८वीं तक के बच्चों को फेल करने को लेकर उठे विवादों पर सीबीएसई चेयरमैन का कहना था कि आरटीई लागू होने के बाद सीबीएसई स्कूलों मे आठवीं तक किसी बच्चे को प्रमोट करने से नहीं रोका जाएगा और इसके लिए सर्कुलर सभी स्कूलों में भेज दिया गया है। फीस वृद्धि स्कूलों का व्यक्तिगत मामला है लेकिन यदि वह अभिभावकों से सामंजस्य स्थापित करके ऐसा करें तो समस्या नहीं खड़ी होगी(अमर उजाला,लखनऊ,10.5.11)।

बलिया के एक कालेज में एमएड में अवैध फीस वसूली का मुद्दा उठा

Posted: 10 May 2011 07:00 AM PDT

बीएड के बाद अब एमएड में विद्यार्थियों से अवैध फीस वसूली का प्रकरण सामने आया है। काशी विद्यापीठ से संबद्ध बलिया के एक महिला कालेज की छात्राओं ने आरोप लगाया कि परीक्षा फीस के नाम पर हजारों रुपये की वसूली की जा रही है। छात्राओं ने कुलसचिव से लिखित शिकायत करते हुए उचित कार्रवाई की मांग की।

फुलेहरा स्मारक महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कमतैला-रसड़ा, बलिया की एमएड की एक दर्जन से ज्यादा छात्राएं सोमवार को काशी विद्यापीठ पहुंची। कुलपति की अनुपस्थिति में इन्होंने कुलसचिव इंदुपति झा से मिलकर कालेज द्वारा अवैध फीस वसूलने की शिकायत की। मीनाक्षी जायसवाल, मोनिका सिंह, प्रियंका श्रीवास्तव, सुप्रीति गुप्ता, पूनम राय, अर्चना सिंह, वंदना सिंह, विनीता सिंह, शिल्पी एवं प्रियंका आदि ने आरोप लगाया कि परीक्षाफार्म भरने के लिए १० से २० हजार रुपये कालेज के प्रबंधक द्वारा मांगे जा रहे हैं। कुलसचिव ने तत्काल प्राचार्य से संपर्क किया और फटकार लगाते हुए नियमानुसार छात्राओं से फार्म भराने को कहा। उन्होंने दोबारा ऐसी शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। छात्राओं ने इस मामले की शिकायत क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डा. डीएस सिंह से की है। वहीं कालेज के प्राचार्य डा. एचएन पांडेय का कहना है कि किसी छात्रा से अतिरिक्त फीस नहीं मांगी गई। छात्राओं को फार्म भरने के लिए कई बार बुलाया जा चुका है।
अवैध फीस वसूली की शिकायत करने विद्यापीठ पहुंची छात्राओं का केंद्रीय कार्यालय के समक्ष जमावड़ा देख चीफ प्राक्टर प्रो. एमबी शुक्ला आगबबूला हो गए। उन्होंने छात्राओं को जमकर फटकार लगाई और वहां से भगा दिया। छात्राओं ने आरोप लगाया कि चीफ प्राक्टर ने अपशब्दों का प्रयोग करते हुए कैरियर बर्बाद करा देने की धमकी दी। इस दुर्व्यवहार से छात्राओं में काफी आक्रोश रहा(अमर उजाला,वाराणसी,10.5.11)।

गुरुकुल कांगड़ी विवि में परीक्षा के दौरान जमकर हंगामा

Posted: 10 May 2011 06:45 AM PDT

गुरुकुल कांगड़ी विवि में बीएससी की परीक्षा के दौरान जमकर हंगामा हुआ। प्रवेश पत्र के बिना आए दो परीक्षार्थियों को रोके जाने पर छात्र कल्याण परिषद अध्यक्ष और परीक्षा अध्यक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। हंगामे के चलते परीक्षार्थियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। शिक्षकों और कर्मचारियों ने मंगलवार से परीक्षा कराए जाने में असमर्थता जाहिर की है। वहीं छात्र नेताओं ने भी परीक्षा अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

सोमवार को पेपर देने आए बीएससी के दो परीक्षार्थियों के पास प्रवेश पत्र नहीं था। परीक्षा अध्यक्ष प्रो. महीपाल सिंह ने उन्हें मुख्य कार्यालय जाकर दूसरा प्रवेश पत्र बनवाकर लाने के लिए कहा। परीक्षार्थियों ने इसकी सूचना छात्र कल्याण परिषद अध्यक्ष मनीष चौहान को दी। मनीष ने दोनों परीक्षार्थियों को बिना प्रवेश पत्र ही परीक्षा कक्ष में एंट्री देने की मांग की। परीक्षा अध्यक्ष पहले प्रवेश पत्र दिखाए जाने पर अड़ गए। मनीष ने परीक्षा कक्ष में घुसकर परीक्षार्थियों से पेपर के बहिष्कार का आह्वान कर दिया। इससे परीक्षा कक्ष में अफरातफरी का माहौल उत्पन्न हो गया। परीक्षा ड्यूटी पर लगे कार्मिकों और छात्र नेताओं के बीच जमकर गाली-गलौच हुई। बाद में दोनों परीक्षार्थियों को परीक्षा कक्ष में प्रवेश देकर पेपर शुरु कराया गया।
पेपर के बाद परीक्षा अध्यक्ष महीपाल सिंह के साथ ही २४ शिक्षकों और नौ शिक्षकेतर कर्मचारियों ने कुलसचिव को लिखित में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि छात्र कल्याण परिषद अध्यक्ष मनीष चौहान ने जबरदस्ती परीक्षा कक्ष में घुसकर परीक्षार्थियों को बाहर निकालने का प्रयास किया। रोके जाने पर उसने अभद्रता और गाली-गलौच की। वहीं दूसरी ओर छात्र कल्याण परिषद अध्यक्ष मनीष चौहान, सचिव गोकुल कुमार सहित कई छात्रों ने परीक्षा अध्यक्ष पर अभद्रता और परीक्षार्थियों का समय खराब करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है(अमर उजाला,हरिद्वार,10.5.11)।

गोरखपुरःअंकुर उद्योग के कर्मचारियों को १३ से मिलेगा वेतन

Posted: 10 May 2011 06:30 AM PDT

अंकुर उद्योग में लाक आउट है। प्रबंध तंत्र का मानना है कि बाहरी तत्व एवं कुछ श्रमिकों के अतिरिक्त प्रतिष्ठान में काम करने वाली सभी कर्मचारियों को प्रबंधतंत्र से कोई परेशानी नहीं है। हमें सूचना मिली है कि अप्रैल माह का वेतन भुगतान न होने के कारण सामान्य कर्मचारियों को आर्थिक परेशानी हो रही है। इसलिए एक से २९ अप्रैल तक का वेतन भुगतान करने का निर्णय लिया गया है।
यह जानकारी अंकुर उद्योग की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में दी गई है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि १३ मई से १५ मई यानी तीन दिन में वेतन का भुगतान किया जाएगा। १३ मई को सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक शिफ्ट ए और जनरल शिफ्ट के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान किया जाएगा। १४ मई को बी शिफ्ट और १५ मई को सी व बचे हुए अन्य सभी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान किया जाएगा। प्रतिष्ठान हमेशा श्रमिक हित में काम करता रहा है। श्रमिकों को उनका देय समय से दिया जाता रहा है। पिछले वर्ष ८.३३ फीसदी देय बोनस की जगह १२ फीसदी बोनस का भुगतान किया गया। वर्ष २०१० की कैजुअल लीव का भुगतान नकदीकरण के रूप में श्रमिकों को मार्च २०११ में होली के अवसर पर किया जा चुका है। वर्ष २०१० की अर्न्ड लीव जिसका भुगतान दिसंबर २०११ को होता है का भी होली के अवसर पर भुगतान किया जा चुका है। प्रतिष्ठान पर श्रमिकों का अन्य कोई बकाया नहीं है। प्रबंधतंत्र ने कहा है कि भुगतान की तिथियों पर निर्धारित शिफ्ट के कर्मचारियों के अतिरिक्त कोई अन्य कर्मचारी गेट पर नहीं रहेगा। जिसे वेतन के हिसाब में गलती लगती है उसके समाधान के लिए वह १६ मई को आ सकता है। कोई श्रमिक पूर्ण एवं अंतिम हिसाब लेना चाहता है तो इस्तीफा देकर ऐसा कर सकता है। उन्होंने कार्यालय के कर्मचारियों को श्रमिकों का वेतन बनाने के लिए तुरंत फैक्ट्री में उपस्थित होने का निर्देश दिया है(अमर उजाला,गोरखपुर,9.5.11)।

राजस्थानःपीटीईटी आवेदन की तिथि बढ़ी

Posted: 10 May 2011 06:10 AM PDT

जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित की जाने वाली बीएड प्रवेश परीक्षा 'पीटीईटी' के लिए परीक्षा शुल्क व आवेदन फार्म जमा कराने की तिथि बढ़ा दी गई है। प्रदेश में पीटीईटी 5 जून को होगी। पीटीईटी परीक्षा संयोजक प्रो. ए.के.मलिक ने बताया कि छात्रों की मांग पर ये तिथियां बढ़ाई गई हैं। पीटीईटी के लिए परीक्षा शुल्क जमा कराने की अंतिम तिथि पहले 10 मई थी।



यह बढ़ाकर 13 मई कर दी गई है। इसी प्रकार फार्म जमा कराने की अंतिम तिथि 11 मई से बढ़ाकर 14 मई की गई है। पीटीईटी के लिए अभी तक एक लाख 25 हजार सौ आवेदकों ने परीक्षा शुल्क जमा करा दिया है। पीटीईटी के आवेदन पहली बार ऑनलाइन भरे जा रहे हैं। आवेदक अपना आवेदन अपने सम्बन्घित संग्रहण केन्द्र पर जमा करा सकते हैं। प्रदेश भर में 122 संग्रहण केन्द्र बनाए गए हैं(राजस्थान पत्रिका,जोधपुर,10.5.11)।

रांचीःसूरज कॉलेज में डूब रहा छात्रों का भविष्य

Posted: 10 May 2011 05:50 AM PDT

सूरज सिंह मेमोरियल कॉलेज, कांके रोड की स्थिति दयनीय है। यहां छात्रों का भविष्य डूबता नजर आ रहा है। कॉलेज प्रबंधन और विवि प्रशासन विवश है। 1932 में स्थापित इस कॉलेज के पास अपनी भूमि नहीं है, जिससे विकास रुका हुआ है।

यहां के विकास के लिए यूजीसी और राज्य सरकार से राशि मिली लेकिन उपयोग नहीं होने से लौट गई। छात्रों की प्रायोगिक कक्षाएं न के बराबर चलती हैं। भवन के अभाव में कक्षाएं बाधित होती हैं। शौचालय और पेयजल के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है।

कॉलेज में लगभग 7,500 विद्यार्थी पढ़ते हैं। कॉलेज की दयनीय स्थिति से सरकार परिचित है, बावजूद समस्याएं यथावत हैं।

52 शिक्षकों के लिए 30 कुर्सियां


कॉलेज में 52 शिक्षक कार्यरत हैं, लेकिन कुर्सियां मात्र 30 हैं। स्थिति यह है कि एक साथ सभी शिक्षक कुर्सी पर भी नहीं बैठ सकते हैं। कॉलेज प्रबंधन ने बताया कि झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) द्वारा 30 कुर्सियां उपलब्ध कराई गई हैं।

यूजीसी से 24 लाख स्वीकृत

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एसएस मेमोरियल कॉलेज के विकास के लिए 24 लाख रुपए स्वीकृत किए हैं। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि अपनी भूमि नहीं होने से यह राशि पहले की तरह ही फिर लौट जाएगी। 

इससे पहले यूजीसी ने 17 लाख और राज्य सरकार ने 49 लाख रुपए निर्माण के लिए आवंटित किए थे। उपयोग नहीं होने से यह राशि लौट गई।

भूमि उपलब्ध कराएं 

सरकार ने कॉलेज को भूमि उपलब्ध कराने की पहल शुरू कर दी है। एचआरडी के प्रधान सचिव मृदुला सिन्हा ने उपायुक्त भूमि उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि यह सरकारी कॉलेज है। इसमें 7,500 छात्र पढ़ते हैं। अपनी भूमि नहीं होने से छात्रों का पठन-पाठन और खेलकूद प्रभावित हो रहा है। 

यहां आधारभूत संरचना का अभाव है। शिक्षकों के लिए कुर्सी भी नसीब नहीं है। शौचालय नहीं है। कंटिजेंसी फंड में मात्र छह हजार पांच सौ रुपए मिलते हैं। इतनी खराब व्यवस्था के बाद भी हमारे शिक्षक पढ़ा रहे हैं। कॉलेज का संचालन आसान नहीं है।
डॉ. रणजीत सिंह, प्राचार्य, एसएस मेमोरियल कॉलेज(राकेश,दैनिक भास्कर,रांची,10.5.11)

दिल्लीःशिक्षा निदेशालय के स्कूलों में समर वर्कशॉप कल से

Posted: 10 May 2011 05:30 AM PDT

शिक्षा निदेशालय के स्कूलों में बुधवार से गर्मी की छुट्टियां शुरू होने के साथ ही समर वर्कशॉप भी शुरू जाएगा। निदेशालय के स्कूल बुधवार से बंद हो जाएंगे और कक्षाएं शैक्षणिक 2011-12 एक जुलाई से शुरू होंगी। गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के व्यक्ति के विकास के लिए निदेशालय द्वारा बुधवार से 91 स्कूलों में समर वर्कशाप चलेगा। वर्कशॉप में बच्चे न सिर्फ क्रिकेट, वॉलीबाल, फुटबॉल, थ्रो बॉल, खो-खो, एथलीट आदि में पारंगत होंगे, बल्कि स्वास्थ्य के लिए लाभकारी योगासनों को भी सीख सकेंगे। सम



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Palash Biswas
Pl Read:
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