Friday, May 13, 2011

ममता की आंधी में ढह गया लाल दुर्ग


मां, माटी, मानुष की जीत-ममता

वेबदुनिया हिंदी - ‎2 घंटे पहले‎
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल-कांग्रेस गठबंधन को मिले जनादेश को मां, माटी, मानुष की जीत करार दिया है। सुश्री बनर्जी ने आरंभिक रुझानों में वाम मोर्चे पर अपनी पार्टी को मिल रही भारी बढ़त के बीच अपनी पहली प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह आम आदमी और लोकतंत्र की जीत है। उन्होंने अपने निवास के सामने जुटे हजारों कार्यकर्ताओं से शांति बनाए रखने की अपील की। सुश्री बनर्जी ने ...

मां, माटी और मानुष की जीत: ममता

दैनिक भास्कर - ‎6 घंटे पहले‎
नई दिल्ली. देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद तस्वीर साफ होती दिख रही है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और असम में नतीजे बिल्कुल साफ हो चुके हैं। इस मौके पर राजनीतिक दलों की ओर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। 'यह मां, माटी और मानुष की जीत है। यह जीत पश्चिम बंगाल की जनता को समर्पित है। हमें जीत रवींद्रनाथ टैगोर की 150 वीं जयंती के मौके पर मिली है। आइए, पिछले तीन दशकों में संघर्ष में शहीद हुए लोगों को याद करें। ...

प. बंगाल: जीत टैगोर को समर्पित, ममता लेंगी 18 को शपथ

Khaskhabar.com - ‎7 घंटे पहले‎
कोलकाता। भारी बहुमत से जीत की ओर बढ़ रही तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने अपनी इस जीत को ठाकुर रवींद्रनाथ टैगोर को समर्पित किया है। उन्होंने कहा कि यह उनकी नहीं, बल्कि राज्य के आम लोगों की है और वह इस ठाकुर रवींद्रनाथ को समर्पित करती हूं। संवाददाताओं से बातचीत में ममता ने इस विजय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है, यह मा, मानुष और माटी की जीत है। प्रदेश के आम आदमी ने आज 35 साल बाद आजादी का मुंह देखा है। उन्होंने कहा कि यह जीत ...

लेफ्ट को 'लेफ्ट-राइट' कर ममता ने कहा, तानाशाही का अंत

Oneindia Hindi - ‎8 घंटे पहले‎
कोलकाता। 34 साल बाद पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने लेफ्ट फ्रंट को जड़ से उखाड़ कर फेंक दिया है। जीत के बाद लोगों का अभिवादन स्वीकर करने आई ममता बनर्जी के चेहरे पर खुशी नजर आ रही थी। यह खुशी उन्हें अपनी जीत की नहीं बल्कि अपनी जनता को एक निरंकुश शासन से आजाद करने की थी। लोगों का अभिवादन स्वीकार करते करते अचानक वह बोल पड़ी कि ये जीत मां, माटी और मानुष की है। आपको बताते चलें कि टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी ने अपने अकेले दम पर ...

मां, माटी और मानुष की जीत: ममता बनर्जी

डी-डब्लू वर्ल्ड - ‎8 घंटे पहले‎
तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में अपनी जीत की तुलना आजादी की लड़ाई से करते हुए वादा किया है कि वह निरंकुश सत्ता और ज्यादती का अंत कर देंगी. चुनावों के नतीजे आने के बाद बड़ी तादाद में समर्थक उन्हें बधाई देने के लिए उनके घर के सामने जमा हो गए. इस विशाल भीड़ को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा, "यह लोकतंत्र की जीत है. मां माटी और मानुष की जीत है."Bildunterschrift: Großansicht des Bildes mit der Bildunterschrift: ममता ...

ममता ने कहा, मां, माटी और मानुष की जीत

याहू! जागरण - ‎10 घंटे पहले‎
कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मिली भारी जीत पर कहा कि यह लोकतंत्र और मां, माटी व मानुष की जीत है। ममता ने कहा कि हम अच्छी सरकार देंगे। तानाशाही और अत्याचार समाप्त होगा। इतने वर्षो की प्रताड़ना के खिलाफ यह लोगों की जीत है। ममता बनर्जी ने लोगों से शांति बनाए रखने और किसी तरह के उकसावे में नहीं आने की अपील की। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की जीत की तुलना स्वतंत्रता संघर्ष ...

आज बंगाल को आजादी मिलीः ममता बनर्जी

आज तक - ‎11 घंटे पहले‎
पश्चिम बंगाल में नया इतिहास लिखने वाली तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने जीत के बाद लोगों के सामने आकर कहा कि यह बंगाल को मिली आजादी है. तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन ने प्रदेश में ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए 34 सालों में पहली बार वाम मोर्चे के गढ़ को उखाड़ फेंका है. ममता ने अपने चिर परिचित अंदाज में कहा कि यह मां, माटी और मानुष की जीत है. उन्होंने लोगों को सलाम करते हुए कहा, 'मैं हर तबके का ख्याल रखूंगी....

मां, माटी व मानुष की जीतः ममता

Live हिन्दुस्तान - ‎11 घंटे पहले‎
पश्चिम बंगाल में 34 साल पुरानी वाम सरकार को हराने के बाद पहली बार मीडिया को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि यह मां, माटी व मानुष की जीत है। उन्होंने कहा कि इस जीत का इंतजार था और यह पश्चिम बंगाल की जीत है। ममता ने उनको चुनने के लिए पश्चिम बंगाल की जनता को शुक्रिया अदा किया तथा कहा कि अब पश्चिम बंगाल में असल लोकतंत्र आया है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह शांति बनाए रखें। उन्होंने इस बात पर ...

जीत के बाद IBN7 के साथ ममता बनर्जी की खास बातचीत!

IBN Khabar - ‎9 घंटे पहले‎
कोलकाता। IBN7 की संवाददाता स्मिता शर्मा ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की जीत पर उनसे खास बातचीत की। ममता ने कहा कि ये इस जीत में उनकी कोई खुशी नहीं बल्कि ये लोकतंत्र और लोगों की जीत है, इसलिए उन्हें खुश होने का पूरा अधिकार है। ममता ने लेफ्ट की 34 साल की सरकार को पूरी तरह से जनता की उम्मीदों पर फेल बताया। उन्होंने कहा कि इस पूरे वक्त में बंगाल पीछे ही गया, आगे बिल्कुल नहीं बढ़ा। देखें वीडियो.

मां, माटी और मानुष की जीत - ममता

Patrika.com - ‎11 घंटे पहले‎
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में 34 साल बाद वाममोर्चे का सूपड़ा साफ करने के बाद तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इसे मां, माटी और मानुष की जीत बताया है। कालीघाट स्थित घर से बाहर आकर ममता ने जनता का शुक्रिया अदा करते हुए अपनी इस जीत को रवीन्द्र नाथ टैगोर को समर्पित किया। ममता ने कहा कि "मैं बंगाली हूं, भारतवासी हूं। यह आम लोगों की जीत है। राज्य की जनता को तीन दशकों के लंबे अंतराल के बाद आजादी मिली है। लोगों को यह जीत सालों ...

ममता के लिए "लकी" है नंबर 13

Patrika.com - ‎10 घंटे पहले‎
कोलकाता। 34 साल पुरानी वाममोर्चे की सरकार को पश्चिम बंगाल से उखाड़ फेंकने वाली ममता बनर्जी के लिए नंबर 13 को बेहद "शुभ" माना जा रहा है। हालांकि, आमतौर पर 13 अंक को अच्छा नहीं माना जाता, पर ममता के मामले में यह अंक "लकी" साबित हुआ है। दरअसल ममता बनर्जी ने ठीक 13 साल पहले जनवरी 1998 में तृणमूल कांग्रेस पार्टी का गठन किया था और आज 13 मई यानि शुक्रवार को ममता की पार्टी ने पश्चिम बंगाल में तीन दशक से भी ज्यादा पुरानी लेफ्ट सरकार को ...

ममता की आंधी में ढह गया लाल दुर्ग

बीबीसी हिन्दी - ‎7 घंटे पहले‎
रोमन सम्राट जुलियस सीज़र के ज़माने में एक कहावत उपजी थी, "ऑल रोड्स लीड तो रोम" यानि हर सड़क रोम की ओर जाती है. आज कलकत्ता में कह सकते हैं 'ऑल रोड्स लीड तो कालीघाट' यानी हर सड़क ममता बनर्जी के घर की ओर जाती है. महज़ तैंतीस साल की उम्र में मंत्री बने दस साल तक प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे बुद्धदेब भट्टाचार्य ने अपना इस्तीफ़ा राज्य के राज्यपाल एम के नारायण को सौंप दिया है. ये लोगों की जीत है, लोकतंत्र की जीत है और माँ माटी मानुष की जीत है. ...

ममता की आंधी में ढह गया लाल दुर्ग

ममता बनर्जी

ममता बनर्जी के कालीघाट स्थित घर के बाहर समर्थकों का जमावड़ा

रोमन सम्राट जुलियस सीज़र के ज़माने में एक कहावत उपजी थी, "ऑल रोड्स लीड तो रोम" यानि हर सड़क रोम की ओर जाती है.

आज कलकत्ता में कह सकते हैं 'ऑल रोड्स लीड तो कालीघाट' यानी हर सड़क ममता बनर्जी के घर की ओर जाती है.

महज़ तैंतीस साल की उम्र में मंत्री बने दस साल तक प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे बुद्धदेब भट्टाचार्य ने अपना इस्तीफ़ा राज्य के राज्यपाल एम के नारायण को सौंप दिया है.

ये लोगों की जीत है, लोकतंत्र की जीत है और माँ माटी मानुष की जीत है. मुझे लगता है ये स्वतंत्रता संग्राम की तरह था. मैं ये जीत लोगों को समर्पित करती हूँ.

ममता बनर्जी

कोलकाता की जाधवपुर सीट से बुद्धदेब भट्टाचार्य खुद भी चुनाव हार गए हैं. उनको थोड़े सालों पहले तक उनके विश्वासपात्र रहे राज्य के पूर्व मुख्य सचिव मनीष गुप्ता ने हराया है.

राज्य में वाम मोर्चे के समन्वयक और सीपीआई(एम) की राज्य इकाई के सचिव बिमान बोस ने बुद्धदेब भट्टाचार्य के साथ जारी एक बयान में इस हार को 'अप्रत्याशित' बताया है.

उन्होंने कहा है कि वामपंथी राज्य में एक सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभायेगें और हार के कारणों की समीक्षा करते हुए गलतियों को सुधारेगें.

'हर सड़क कालीघाट की ओर'

तृणमूल कांग्रेस

तृणमूल कांग्रेस समर्थकों ने जीत जश्न हरे गुलाल के साथ मनाया.

जैसे-जैसे चुनाव के रुझान आने लगे ममता बनर्जी के घर के बाहर हर तरह के लोगों भीड़ बढ़ती गई.

शहर के एक दूसरे कोने में चौतीस साल इस राज्य की सत्ता शक्ति के सबसे बड़े केंद्र भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के कार्यालय के बाहर केवल पत्रकार और पुलिस वाले हैं.

नेता तो छोड़ दीजिये आम कार्यकर्ता तक सड़कों से नदारद हैं. महज़ चौबीस घंटे पहले तक लाल झंडों से पटी रहने वाली अलीमुद्दीन स्ट्रीट पर ग़लती से भी कोई लाल झंडा नहीं दिखता.

पूरे देश में हर जगह जीतने वाले लाल रंग का गुलाल उड़ाते हैं लेकिन शुक्रवार को कोलकाता में ममता बनर्जी के घर के बाहर जमा कार्यकर्ता हरे रंग का गुलाल उड़ा कर अपनी खुशी जाहिर कर रहे थे.

चुनाव रुझानों से जब उनकी सरकार बनना तय हो गई तो ममता बनर्जी दोपहर में खुद एक हरे रंग के बोर्डर वाली सफ़ेद साड़ी में आईं और लोगों का धन्यवाद अदा लिया.

ममता बनर्जी ने कहा, "ये लोगों की जीत है, लोकतंत्र की जीत है और माँ माटी मानुष की जीत है. मुझे लगता है ये स्वतंत्रता संग्राम की तरह था. मैं ये जीत लोगों को समर्पित करती हूँ."

पश्चिम बंगाल की भावी मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री सोनिया गांधी सहित कई अन्य बड़े नेताओं से बधाइयां मिल रही हैं.

समर्थकों का मेला

वापपंथी समर्थक

वामपंथी मोर्चे के खेमें में छाई उदासी

जीत के स्पष्ट संकेत आते ही ममता बनर्जी के घर के बाहर मेला लग गया. उनके घर के बाहर कहीं कोई वैष्णव घूँघरू पहने हारमोनियम बजा के कृष्ण के भजन गा रहा था तो घर से कोई सौ मीटर दूर सिख समुदाय लगंर लगा कर शरबत और खाने की चीज़ें बाँट रहा था.

लेकिन कोलकाता की सडकें अगर ममता की जीत के रंगों में सजी थीं तो इसके बाज़ार राज्य में नई सरकार के सामने चुनौतियों की कहानी बयान कर रहे थे.

राजनीतिक और दलीय हिंसा की आशंका के चलते शहर में ज़्यादातर दुकानदारों ने अपनी दुकाने बंद ही रखीं.

जाधवपुर इलाके में एक चाय की दुकान के बाहर खड़े चार पांच सौफ्टवेयर इंजीनियरों से मैंने बात की तो सबने हिंसा की आशंका जताई.

इसी तरह से बालीगंज की एक मस्जिद से नमाज़ पढ़ कर निकले युवाओं ने भी एक स्वर में कहा, "हिंसा होना तो तय लगता है. तृणमूल के लोग और सीपीएम के लोगों में भीड़ंत तो जल्द ही शुरू हो जाएगी."

फ़िलहाल ममता बनर्जी, वामपंथी मोर्चा और पश्चिम बंगाल अपनी-अपनी तरह से इतिहास की इस नई करवट को आँखें फाड़े देख रहे हैं.

-- http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2011/05/110513_wbengal_overall_psa.shtml


दीदी और अम्मा ने पलट दी बाज़ी

ममता बनर्जी और जयललिता

पश्चिम बंगाल में 34 साल से चला आ रहा वाममोर्चे का शासन ख़त्म हो गया है.

अब तक आए नतीजों और रुझान से तय हो गया है कि ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने अपने सहयोगी दल कांग्रेस के साथ मिलकर भारी बहुमत हासिल कर लिया है.

वामपंथी दलों ने अपनी हार स्वीकार करते हुए विपक्ष की सकारात्मक भूमिका निभाने की बात कही है. वहीं ममता बनर्जी ने इसे लोकतंत्र और बंगाल की जनता की जीत बताया है.

बुद्धदेब भट्टाचार्य

बुद्धदेब के शासन काल में सीपीएम ने अपनी नीतियों में परिवर्तन की कोशिश की लेकिन उनका असर नाकारात्मक ही हुआ

इसी तरह अधिकांश चुनावी विश्लेषणों को ग़लत साबित करते हुए जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके ने सत्तारुढ़ डीएमके और कांग्रेस के गठबंधन का सफ़ाया कर दिया है.

असम में तरुण गोगोई के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार तीसरी बार सत्तारूढ़ होने जा रही है.

केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन यूडीएफ़ को मार्क्सवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन एलडीएफ़ पर बहुत कम अंतर से जीत हासिल हुई है. 140 सदस्यीय विधानसभा में यूडीएफ़ को 72 सीटें हासिल हुई हैं जबकि एलडीएफ़ को 68 सीटें मिली हैं. यूडीएफ़ को चूंकि स्पष्ट बहुमत मिला है इसलिए अब उनकी सरकार बनना तय है.

इसके साथ ही आंध्र की कड़प्पा लोकसभा सीट और पुलिवेंदलू विधानसभा सीट पर उपचुनाव था. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी के बेटे जगनमोहन रेड्डी ने इस सीट से इस्तीफ़ा देकर कांग्रेस के ख़िलाफ़ चुनाव लडा़ और बड़ी जीत हासिल की है.

जनगमोहन की माँ विजयलक्ष्मी ने भी कांग्रेस के ख़िलाफ़ पुलिवेंदलू विधानसभा सीट पर उपचुनाव जीत लिया है.

छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट पर भाजपा आगे चल रही है.

वाममोर्चे की हार

एक राजनीतिक दल की तरह हमारी पार्टी आती-जाती रहेगी लेकिन अब पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की बहाली हो गई है.

ममता बनर्जी

वाममोर्चे को पश्चिम बंगाल में 1977 के बाद पहली बार विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है.

ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस का गठबंधन दो तिहाई से अधिक सीटों पर जीत की ओर बढ़ रहा है.

ममता बनर्जी ने इस जीत को लोकतंत्र और पश्चिम बंगाल की जनता की जीत बताया है.

सीएनएन-आईबीएन से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा है कि इन चुनावों से राज्य में लोकतंत्र की बहाली हुई है.

उन्होंने कहा, "एक राजनीतिक दल की तरह हमारी पार्टी आती-जाती रहेगी लेकिन अब राज्य में लोकतंत्र की बहाली हो गई है."

ममता बनर्जी ने कहा है कि उनकी प्राथमिकता प्रदेश में अच्छे प्रशासन की स्थापना करना है, जिसका कई दशकों से अभाव रहा है.

ममता बनर्जी अपने दम पर भी स्पष्ट बहुमत हासिल करती हुई दिख रही हैं.

पश्चिम बंगाल में वामपंथियों की हार ने उनके लिए एक युग का अंत कर दिया है, जिसकी शुरुआत 1977 में ज्योति बसु के मुख्यमंत्री बनने के साथ हुई थी.

हालांकि इसके संकेत पिछली लोकसभा चुनाव के समय मिल गए थे जब वामदलों को कई अहम सीटों पर क़रारी हार का सामना करना पड़ा था.

चुनाव के थोड़े दिन पहले ही मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने स्वीकार किया था कि सीपीएम का लोगों से संपर्क कमज़ोर हो गया है.

डीएमके गठबंधन का सफ़ाया

करुणानिधि और जयललिता

ज़्यादातर चुनाव विश्लेषक कह रहे थे कि तमिलनाडु में करुणानिधि की पार्टी डीएमके और कांग्रेस के गठबंधन और जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके के बीच टक्कर की स्थिति है.

योगेंद्र यादव जैसे कुछ ही चुनाव विश्लेषकों ने कहा था कि इन चुनावों में जयललिता की जीत होने जा रही है.

लेकिन चुनाव परिणाम और रुझान बता रहे हैं कि तमिलनाडु में एआईएडीएम को 234 में से 200 के क़रीब सीटों पर जीत हासिल करती दिख रही हैं. डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को 33 सीटें ही मिलती दिख रही हैं.

माना जा रहा था कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में ए राजा के जेल जाने और सीबीआई के आरोपपत्र में कनिमोड़ी का नाम आने के बाद भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा बनेगा.

लेकिन जयललिता ने 2जी स्पेक्ट्रम की जगह करुणानिधि परिवार के 45 सदस्यों की हर जगह मौजूदगी और उनके भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया.

चुनाव परिणाम बताते हैं कि डीएमके को परिवारवाद और भ्रष्टाचार का मुद्दा भारी पड़ा है.

हालांकि कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा है कि चुनाव परिणामों का कांग्रेस-डीएमके गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन चेन्नई से कई और विश्लेषक मानते हैं कि तत्काल न सही लेकिन इस गठबंधन पर चुनाव परिणामों का असर ज़रुर दिखाई पड़ेगा.

तीसरी बार सरकार

तरुण गोगोई

असम में पिछले दस वर्षों से कांग्रेस का शासन है

असम में पिछले दस वर्षों से कांग्रेस का शासन है

असम में सत्तारुढ़ मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के नेतृत्व में कांग्रेस तीसरी बार सरकार बनाने की ओर अग्रसर है.

चुनाव के दौरान कहा जा रहा था कि इस बार असम गण परिषद की स्थिति मज़बूत दिख रही है और भाजपा भी बेहतर तैयारी के साथ चुनाव में उतर रही है.

लेकिन तरुण गोगोई अधिकांश चुनावी विश्लेषण को ग़लत साबित करते हुए भारी जीत की ओर बढ़ रहे हैं.

हालांकि उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी रहे हैं लेकिन लगता है कि इसने मतदाताओं को प्रभावित नहीं किया है.

आरंभिक रुझानों के बाद टेलीविज़न चैनल सीएनएन-आईबीएन से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जनता से जिस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही थी उसे देखकर वे शुरु से ही कह रहे थे कि कांग्रेस की फिर जीत होगी.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें स्वतंत्र रुप से काम करने की जो छूट दी है जीत में उसका बड़ा हाथ है.

यूडीएफ़ की जीत

केरल

यूडीएफ़ को आसान जीत की उम्मीद थी

केरल में यूडीएफ़ को आसान जीत की उम्मीद थी, लेकिन सीपीएम के भीतर मचे घमासान के बावजूद पार्टी का चुनावी प्रदर्शन संतोषजनक रहा है और एलडीएफ़ ने 140 सीटों वाली विधानसभा में यूडीएफ़ की 72 सीटों के मुक़ाबले 68 सीटें हासिल की हैं.

आमतौर पर केरल में वामपंथी दलों के नेतृत्व वाले गठबंधन एलडीएफ़ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन यूडीएफ़ के बीच बारी-बारी से सत्ता बँटती रही है.

इस आधार पर चुनाव विश्लेषक ये मान रहे थे कि इस बार सत्ता यूडीएफ़ के हाथों में आ जाएगी.

सत्तारुढ़ गठबंधन का नेतृत्व कर रही सीपीएम में अंतर्कलह और पार्टी नेतृत्व की मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन के साथ चल रही खींचतान यूडीएफ़ की जीत आसान भी नज़र आ रही थी, लेकिन यूडीएफ़ को बहुत कम अंतर से एलडीएफ़ पर जीत हासिल हुई है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि


















































































































































































































































































































































































































































































































































































































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