Wednesday, April 28, 2010

प्रधानमंत्री जी, क्‍या आप हमेशा कंडोम लेकर चलते हैं?

[28 Apr 2010 | 2 Comments | ]
प्रधानमंत्री जी, क्‍या आप हमेशा कंडोम लेकर चलते हैं?

बॉस ने कहा, शराब नहीं पीयोगी तो नौकरी जाएगी

[28 April 2010 | Read Comments | ]

Star News Scandal

विनीत ♦ स्टार न्यूज की ऊंची कुर्सी पर बैठे अविनाश पांडे और गौतम शर्मा नाम के शख्स ने स्टार न्यूज में बतौर मैनेजर एड सेल्स ज्वाइन करनेवाली सायमा सहर को लगातार मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया। उसकी बेइज्जती की और बेगैरत के काम करने के लिए दबाव बनाये।

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चमन लाल ♦ मि पीएम, संस्कृति मंत्री होने के नाते इस आधिकारिक सरकारी विज्ञापन पर ध्यान दें, जो एफएम गोल्‍ड पर दिन भर प्रसारित होता है। इसे सुन कर शायद आप काफी परेशानी महसूस करेंगे।
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क्‍या आप आईटी, बीपीओ, केपीओ या फिर टेलीकॉम इंडस्‍ट्री से जुड़े हैं? अगर हां और अपने दफ्तर का कोई दुख हमसे साझा (शेयर) करना चाहते हैं - तो कृपया हमें mohallalive@gmail.com पर मेल करें।आपका नाम गोपनीय रखा जाएगा।

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[28 Apr 2010 | Comments Off | ]

TheHinduCartoonCongressBSPlove&hate

नज़रिया, मीडिया मंडी »

[27 Apr 2010 | One Comment | ]
अब कुछ नहीं, बचे हैं बस खबरों के ट्विटिया सरोकार

आशीष तिवारी ♦ आजकल मीडिया वालों के लिए खबरें शुरू होती हैं तो ट्विटर से, और खत्म होती हैं तो ट्विटर पर। अगर ट्विटर न हो, तो मीडिया वालों को खबरों का अकाल परेशान कर देगा। अब हर खबर को ट्विटिया चश्मे से देखा जाता है और ट्विटिया सरोकार से आंका जाता है। मुझे लगता है कि ट्विटर वालों को ललित मोदी और शशि थरूर को सम्मानित करना चाहिए क्योंकि इनके ट्विट ने ट्विटर को खासी प्रसिद्धी दिलायी और इतने बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर में विशेष अनुष्ठान करा एक मंत्री कि आहूति तक ले ली। मीडिया वालों को भी बुला कर सम्मानित करना चाहिए क्योंकि इनकी बदौलत पूरा देश ट्विटरमय हो गया। लगा, देश में अगर कहीं कुछ घटता है तो वो है ट्विटर।

मीडिया मंडी, मोहल्‍ला लाइव »

[27 Apr 2010 | 5 Comments | ]
खबर खुलने से

डेस्‍क ♦ पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह के जागीरी चैनल हमार में शोषण के खुले खेल की खबर मोहल्‍ला लाइव पर लगातार आने से प्रबंधन हतप्रभ है। चैनल के सूत्रों की ओर से समझौते की तमाम कोशिशें नाकामयाब होने के बाद अब हमार प्रबंधन ने मोहल्‍ला लाइव को अपने नोएडा ऑफिस में बैन कर दिया है। यह इस महीने की तीसरी घटना है, जब तीन जगहों पर मोहल्‍ला लाइव के यूआरएल को ब्‍लॉक किया गया है। 1 अप्रैल 2010 को डेनमार्क की आईटी कंपनी सीएससी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की तमाम भारतीय शाखाओं में मोहल्‍ला लाइव को बैन किया गया था। अप्रैल के दूसरे हफ्ते में महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा में प्रशासन ने मोहल्‍ला लाइव को बैन किये जाने की अधिसूचना जारी की।

मीडिया मंडी, मोहल्ला भोपाल »

[26 Apr 2010 | 5 Comments | ]
टीवी पत्रकार अक्षय को बचा लीजिए, वह जीना चाहता है

अतुल पाठक ♦ प्राइवेट बिजनेस करने वाले पिता सुधीर कात्यानी ने बेटे के इलाज के लिए अपने जीवन भर की कमाई खपा दी। गाड़ी बंगला बेच दिया। लेकिन वो ठीक नहीं हुआ। अब अचानक डाक्टरों ने बताया कि इस बीमारी का कारगर इलाज आ गया है। सिर्फ दो लाख खर्च होंगे। लेकिन अब जबकि वो दाने-दाने को मोहताज हो गये हैं, बेटे के इलाज के लिए दो लाख कहां से लाएं। तो क्या, इकलौते जवान बेटे को यूं ही हाथ से चले जाने दें। मजबूर पिता क्या करे? मदद के नाम पर सबने हाथ खड़े कर दिये हैं। बेटे को अल्सरेटिव्ह कोलाइटिस है। खून की उल्टी, दस्त होते हैं।

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[26 Apr 2010 | No Comment | ]
संजय उपाध्‍याय को 2010 का मनोहर सिंह सम्‍मान

डेस्‍क ♦ नाट्य नि‍र्देशक संजय उपाध्‍याय को राष्‍ट्रीय नाट्य वि‍द्यालय का प्रति‍ष्‍ठि‍त मनोहर सिंह सम्‍मान दि‍या गया। सन 2010 के लि‍ए कल यह सम्‍मान रानावि‍ के अभि‍मंच प्रेक्षागृह में देश के जानेमाने रंगकर्मी रतन थि‍यम ने उन्‍हें प्रदान कि‍या। इस सम्‍मान में एक लाख रुपये की राशि‍ प्रदान की जाती है। सन 2009 का यह सम्‍मान प्रख्‍यात अभि‍नेत्री उत्तरा बावकर को मि‍ला। बि‍हार में जन्‍मे-पढ़े संजय उपाघ्‍याय राष्‍ट्र नाट्य विद्यालय के‍ स्‍नातक हैं और उन गि‍ने-चुने रंगकर्मि‍यों में हैं जो विद्यालय‍ से पास करने के बाद अपने प्रदेश लौटकर रंगकर्म करते हैं। उन्‍होंने बि‍हार जैसे प्रदेश में जहां नाटक के लि‍ए कोई आधारभूत संरचना उपलब्‍ध नहीं है, अपनी नाट्य संस्‍था नि‍र्माण कला मंच की सक्रि‍यता के कारण नया और सार्थक रंग वातावरण रचा।

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[25 Apr 2010 | 10 Comments | ]
आंदोलन की राह पर हमारकर्मी, एक मई से करेंगे तालाबंदी

हमारकर्मी ♦ हम सबने कंपनी के किये वादे के मुताबिक अपने-अपने देनदारों से 30 अप्रैल तक हर हाल में उधार चुकाने का वादा किया है। अगर ये वादे खोखले साबित हुए, तो हम सब अपनी जिंदगी का निकृष्टतम दौर देखने को मजबूर होंगे। एक मई को दुनियाभर में मजदूर दिवस मनाया जाता है। आशा है, हम सब दुखी कर्मचारियों की उपरोक्त मांगें 30 अप्रैल तक पूरा कर मजदूर दिवस को सार्थक साबित किया जाएगा। वरना, हमें बहुत दुख होगा – जब हमसब मजदूर दिवस पर चैनल के सारे काम-काज ठप्प करने पर मजबूर होंगे। महाशय, हम सबकी तरफ से नम्र निवेदन है कि हमारी चिंताओं को किसी भी तरीके का विद्रोह या नाफरमानी न समझा जाए।

नज़रिया »

[25 Apr 2010 | 3 Comments | ]
मंत्री बबनराव को अब तक गिरफ्तार क्‍यों नहीं किया गया

विकास वशिष्‍ठ ♦ यदि इन आदिवासी जनजातियों की बेटियों के लिए उड्डयन के क्षेत्र में कोई जगह थी ही नहीं, तो इन्हें एएचए में प्रवेश दिलाने की पहल ही क्यों की गयी? पहले सरकार ने सपना दिखाया और अब जब ये लड़कियां एक नयी उड़ान भरने को तैयार खड़ी हैं तो इनकी राह में रोड़ा बने हुए हैं। उस पर भी हद तो तब हो गयी जब मंत्री महोदय खुलकर अनाप शनाप बोलने लगे। यह अधिकार उन्हें किसने दिया? क्या यह मानहानि का मामला नहीं बनता? क्या यह एक पूरी जाति का अपमान नहीं है?

नज़रिया, स्‍मृति »

[24 Apr 2010 | No Comment | ]
जिंदगी का ट्विट सुनाने वाली गौरया अब खामोश है

आशीष तिवारी ♦ कुछ वर्षों पहले तक ऐसी ही ट्विट हमारे और आपके घरो में भी सुनाई देती थी। आंगन हो, बरामदा हो, खिड़की हो, रोशनदान हो – हर जगह एक प्यारी गौरया की ट्विट सुनायी देती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। गौरया अब ढूंढे नहीं मिलती है। पहले जब घर में चावल बनाने से पहले उसे साफ किया जाता था तो उसमें से निकले धान को मां खुली जगह पर रख देती थी। गौरया का झुंड वहां आता और धान अपनी चोंच से धान और चावल को अलग करता और लेकर उड़ जाता। अक्सर गौरया का एक बड़ा झुंड गर्मी की दोपहर में घर के बाहर लगे झुरमुट में चला आता। देर तक शोर करता और शाम को उड़ जाता।

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[24 Apr 2010 | One Comment | ]

शब्‍बीर हुसैन ♦ आवारा पूंजी की मीडिया पर पकड़ मजबूत हुई है और इस पकड़ ने खबर को मनोरंजन में बदल दिया है। राहुल महाजन, मलिका शेरावत या राखी सावंत जैसे चरित्रों का मीडिया सुर्खियों में होने के कारण भी यही हैं। मनोरंजन की प्रवृत्ति स्थिर नहीं है। अतः ये चरित्र भी तेजी से बदलते और आते जाते हैं। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के जनपद विभाग और मीडिया अध्ययन केंद्र के साझे में हुए 'नयी चुनौतियां और वैकल्पिक मीडिया' विषय पर सुप्रसिद्ध पत्रकार अनुराग चतुर्वेदी ने अपने व्याख्यान में कहा कि मनुष्यता की पहचान और हिंसा रहित समाज के लिए वैकल्पिक मीडिया की जरूरत हमेशा बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि सीमांत लोगों के बारे में पत्रकारिता ही वैकल्पिक पत्रकारिता है।

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[23 Apr 2010 | No Comment | ]
रिपोर्टर ही बने रहना चाहते थे उदयन शर्मा

सलीम अख्तर सिद्दीकी ♦ उदयन शर्मा की पुण्य तिथि 23 अप्रैल पर उनको याद करना 1977 में शुरू हुई उस हिंदी पत्रकारिता को भी याद करना है, जब उदयन शर्मा, एमजे अकबर और एसपी सिंह ने 'रविवार' के माध्यम से हिंदी पत्रकारिता को नये तेवर प्रदान किये थे। 11 जुलाई 1949 को जन्मे उदयन शर्मा प्रख्यात पत्रकार ही नहीं बल्कि विचारों से पक्के समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शख्स थे। उन्होंने दीन-हीन हिंदी पत्रकारिता को नये आयाम दिये थे। जब 23 अप्रैल 2001 को उनका निधन हुआ तो निर्भीक, समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष पत्रकारिता का युग समाप्त हो गया है। उदयन शर्मा का ये विशेष गुण था। वो अपने लिए नहीं जीते थे, वे अपने नहीं लिखते थे। वो नहीं लिखते थे किसी उच्च पद को पाने के लिए।

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[22 Apr 2010 | One Comment | ]
हमारे जिले को बिके हुए पत्रकारों से बचाओ : जुबैर

जुबैर ♦ खबर छापने का वह मुझसे सिर्फ खबर के लिए पांच सौ और कार्यक्रम का फोटो छापने के लिए एक हजार की मांग करते हैं। कभी-कभी तो कहते हैं कि पांच हजार का विज्ञापन दीजिए – छपता रहेगा – बार-बार आपको न पैसा देना पड़ेगा और न ही हमें मांगना पड़ेगा। कई बार मुझे अखबारों के दफ्तरों में जलील होना पड़ा। वे कहते हैं कि पैसा नहीं देते हो, खबर छपवाने का बहुत शौक पाला है। कहते हो कि जेब में पैसा नहीं है तो इतना महंगा कपड़ा कैसे पहनते हो। कई बार मैंने क्षेत्र में स्वास्थ्य शिविर लगवाये तो उसकी खबर देते वक्त पत्रकार कहते हैं कि डाक्टरों को देने के लिए पैसा है हमको देने के लिए नहीं। हमारे यहां खाली हाथ चले आते हो, हमें ता नरेगा से भी कम वेतन मिलता है।

कोसी, रिपोर्ताज, शब्‍द संगत »

[21 Apr 2010 | 5 Comments | ]
नदी एक नौजवान ढीठ लड़की है

अरविंद दास ♦ सेन आपसे लिपटना चाहती है। लिपटती है। वह आपको चूमना चाहती है। चूमती है। आप उसके कोमल और नरम हाथों की गरमाहट महसूस करते हैं। कल कल करती हुई वह बात-बेबात हंसती रहती है। जब आप उससे नाराज़ होने का अभिनय करते हैं, वह और हंसती चली जाती है। एक और चुंबन। उसकी सांसों की ऊष्णता आपमें गुदगुदी भरती है। उसकी आंखों की कोर में जाड़े की सुबह का उजास और गर्मी की शाम की सुरमई चमक एक साथ डोलती है। आप उसे फिर-फिर छूना चाहते हैं। और बलखाती, इठलाती-इतराती वो गयी। प्रेम में पगी लड़की की तरह उसका अनायास जाना भी सायास है। सेन चिरयौवना है। उसकी वजह से पेरिस की फिजा में रोमांस है। आप कवि हो ना हो, सेन आपमें जीवन के प्रति राग पैदा करती है।

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